सेक्टोरल डाटाबेस

भारत में कॉटन जिनिंग और प्रेसिंग फॅक्टरीज (2004)

कपास में वांछित गुणवत्ता स्तर को प्राप्त करने के लिए नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों द्वारा जिनिंग और प्रेसिंग कारखानों के आधुनिकीकरण/अपग्रेडेशन के मुद्दे को विभिन्न स्तरों पर रखा गया है। भारत में वस्‍त्र समिति द्वारा 1994 में आयोजित "द टेक्नो इकोनोमिक स्टडी ऑफ कॉटन जिनिंग एंड प्रेसिंग फॅक्टरीज" पर अध्ययन, भारत की जी एंड पी कारखानों की स्थिति की जानकारी का एकमात्र स्रोत था । उद्योग में प्रौद्योगिकी स्तर में हुए परिवर्तनों के कारण यह डाटा अनावश्यक हो गया है। इस प्रकार  यह महसूस किया गया था कि क्षेत्र में विश्वसनीय डाटाबेस बनाने के लिए एक व्यापक "भारत में जि‍निंग और प्रेसिंग कारखानों की जनगणना" का आयोजन किया जाना आवश्यक है।

भारत में प्रमुख 9 कपास उत्पादक राज्यों में स्थित 4015 जी एंड पी कारखानों और उड़ीसा, असम तथा मेघालय राज्यों में अन्य 19 कारखानों की  जनगणना की गई ।  इस प्रकार 12 राज्यों में कुल मिलाकर 4034 जी एंड पी कारखानों की जनगणना हुई ।

जनगणना: भारतीय वस्त्र इंजीनियरिंग उद्योग (2009)

वस्‍त्र समिति ने भारत में वस्त्र मशीनरी उद्योग से संबंधित नीति निर्धारण आवश्यक डाटा अंतर को भरने के लिए वस्‍त्र इंजीनियरिंग उद्योग की जनगणना को शुरू किया। मशीनरी क्षेत्र में नीति बनाने और उसकी विकास योजनाओं के लिए डाटा की अनुपस्थिति एक बाधा है । इसलिए इस विषय में  टेक्सटाइल मशीनरी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (टीएमएमए) ने सूचना आधार बनाने के लिए वस्‍त्र समिति की पहल का समर्थन किया है। 2007-08 के दौरान उद्योग की कुल गणना आयोजित की गई थी। इस जनगणना के माध्यम से संख्याओं और इकाइयों के प्रसार पर जानकारी, निवेश, प्रौद्योगिकी, उत्पादन आदि के विकास के रुझान एकत्र किए गए हैं। रिपोर्ट में उत्पादन, कच्चे माल और निवेश पैटर्न को भी दर्शाया गया है जो इस क्षेत्र में क्षमता उपयोग और रोजगार की सीमा का मूल्यांकन करता है।

भारत में करीब 1446 वस्त्र इंजीनि‍यरिंग उद्योग इकाइयां हैं इसमें से, 584 इकाइयां पूरी मशीनरी के साथ घटकों / सामानों के साथ जुड़ी हुई हैं और शेष 862 इकाइयां केवल घटक/सहायक उपकरण बनाती हैं। गुजरात में 48.55 प्रतिशत इकाइयां हैं और 31.12 प्रतिशत इकाइयां तमिलनाडु में हैं।